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पीड़ा में जो साथ था .कविता (कांटेस्ट)

tulip
tulip
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प्रेम गीत गाने का आमंत्रण है ,
फिर तो अतीत में लौटना होगा ,
ढूंढ़ना होगा ,
खुद से पूछना होगा-
किसी और को वो निहारे तो ,
होती थी जलन.
क्या ये प्रेम था?
शाम ढले सीधे घर आये तो ,
होती थी पुलकन
क्या ये प्रेम था ?
प्रतीक्षा रात्रि के अपूर्व मिलन की,
कसमें साथ निभाने की ,
क्या ये प्रेम था ?
सच्चा था या मोह -पाश था ,
इन्हें उधेड़ना अच्छा नही ,
पर इतना तो सच है ,
ये प्रेम कच्चा नहीं .
पीड़ा में जो साथ था ,
किलकारियों में ,सपनों में ,
जो साथ था .
मेरे कमियों को आत्मसात किया ,
मेरे अच्छाइयों को सम्मान दिया ,
अब कोई संशय नहीं ,
कोई सवाल नहीं .
ह्रदय कहता है ,
ये प्रेम है ,
हाँ यही प्रेम है .

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